Essay on Lal Bahadur Shastri लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय (उतर प्रदेश) में हुआ था। शास्त्री जी भारत के दुसरे प्रधानमंत्री बने थे। शास्त्री जी की माता का नाम रामदुलारी था और पिता जी वास्तव एक अध्यापक थे। लाल बहादुर परिवार में सबसे छोटे होने के कारण सभी उन्हें प्रेम से नन्हे कहकर पुकारते थे। शास्त्री जी के पिता जी इनके बचपन में ही स्वर्गवासी हो गए थे और इनकी माता रामदुलारी आपको आपके नाना के यहाँ लेकर चली गयी। शास्त्री जी की शादी सन 1928 में मिर्ज़ापुर की निवासी गणेश प्रसाद की पुत्री ललिता देवी से हुआ था।
एक बार शास्त्री जी बचपन में अपने दोस्तों के साथ गंगा पार एक मेला देखने के लिए गए। दिनभर मेला देखने के बाद जब सभी दोस्त वापिस लौटने लगे तो शास्त्री जी अचानक पीछे रह गए सभी दोस्त नौका में बैठ गंगा पार हो गए। उस समय आपके पास इतने ज्यादा पैसे भी नहीं थे के आप नौका का भाड़ा दे पाते। इस बालक ने किसी से उधार मांगने जा किसी की सहायता की इच्छा करना अपने गौरव के खिलाफ़ समझा। आत्म विशवास और दृढ़ इरादे के साथ वह गंगा में कूद पड़े और आधे मील के पाट को पार कर गया। गंगा की गहराई को दृष्टि में रखते हुए उसे पारकर जाना एक साहसी के ही काम था।
गांधी जी के राजनतिक आन्दोलन में शास्त्री जी ने 1930 से 1944 तक का समय जेलों में भिन्न -भिन्न अवसरों पर गुज़ारा। जेल में रहते हुए आप ने कभी भी कोई सुख सुविधा की मांग नहीं की।
भारतीय कांग्रेस कमेटी के द्वारा आपको सन 1951 में कमेटी का महासचिव चुना गया। 1952 में आपको आपको देश का प्रथम रेल मंत्री बनाया गया। आपकी प्रतिभा और निष्ठां को देखते हुए आपको सन 9 जून 1964 को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। सन 1965 में भारत और पाकिस्तान में हुए युद्ध के समय आपने जय जवान जय किसान का नारा लगाया जिसने देशभर के लोगों में एक नयी उर्जा और जोश संचार किया।
युद्ध को समाप्त करने के मकसद से लाल बहादुर साहिब रूस के ताशकंद शहर गए और समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद सन 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी का देहांत हो गया।
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Lal Bahadur Shastri Essay in Hindi 450 words
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म भी 2 अक्टूबर को ही हुआ था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा। साफ-सुथरी छवि के कारण ही विपक्षी पार्टियां भी उन्हें आदर और सम्मान देती हैं। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में लालबहादुर 9 वर्ष तक जेल में रहे। असहयोग आंदोलन के लिए पहली बार वह 17 साल की उम्र में जेल गए लेकिन बालिग ना होने की वजह से उनको छोड़ दिया गया। उसके बाद वह सभी ने अवज्ञा आंदोलन के लिए वर्ष 1930 में ढाई साल के लिए जेल गए।
वर्ष 1940 और 1941 से लेकर 1946 के बीच भी वह जेल रहे इस तरह कुल 9 साल जेल में रहे। स्वतंत्रता की लड़ाई में जब जेल में थे तब उनकी पत्नी चुपके से उनके लिए दो आम छिपा कर ले आती थी इस पर खुश होने की जगह उन्होंने उनके खिलाफ ही धरना दे दिया शास्त्री जी का तर्क था कि कैदियों को जेल के बाहर की कोई चीज खाना कानून के खिलाफ है उन में नैतिकता इस हद तक भरी थी कि एक बार जेल से उनका बीमार बेटी से मिलने के लिए 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया लेकिन बीच में वह चल बसी तो शास्त्री जी वह अवधि पूरी होने से पहले ही जेल वापिस आ गए।
शास्त्री जी जात-पात के सख्त खिलाफ थे तभी उन्होंने अपने नाम के पीछे सरनेम नहीं लगाया शास्त्री जी की उपाधि उनको काशी विद्यापीठ से पढ़ाई के बाद मिली थी। वहां वह अपनी शादी में उन्होंने दहेज लेने से इनकार कर दिया था लेकिन ससुर के बहुत जोर देने पर उन्होंने कुछ मीटर खादी का दहेज लिया। वर्ष 1954 में प्रधानमंत्री बने थे तब देश खाने की चीजें आयात करता था उस वक्त देश पीएल 480 स्कीम के तहत नॉर्थ अमेरिका पर अनाज के लिए निर्भर था।
वर्ष 1965 में पाकिस्तान से जंग के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ा तब के हालात देखते हुए उन्होंने देशवासियों से 1 दिन का उपवास रखने की अपील की हालात से उन्होंने हमें जय जवान जय किसान का नारा दिया। ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के तौर पर सबसे पहले उन्होंने ही इस इंडस्ट्री में महिलाओं को बनाने की शुरुआत की यही नहीं प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन्होंने लाठीचार्ज की बजाय पानी की बौछार का सुझाव दिया था। पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के लिए समझौता पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे। इसके ठीक 1 दिन बाद उनकी खबर आई के हार्टअटैक से उनकी मृत्यु हो गई है।
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