Essay on Koyal in Hindi : कोयल पर निबंध – कोयल (Cuckoo) रूप और रंग से कौवे पक्षी से बिल्कुल मिलती -जुलती होती है पर यह अपने स्वभाव और बोली में कौवे से अलग होती हैं। जबकि कौवा पक्षियों में चतुर और नीच पक्षी समझा जाता है क्योंकि कौवा ज्यादातर छीनकर और गले -सड़े को अपना भोजन बनाता है। कोयल को कुक्कू भी कहा जाता है। यह सुंदर पक्षी झारखंड और पोंडिचेरी के राज्यों का राष्ट्रीय पक्षी है।
बसंत ऋतू के समय पेड़ों पर कुकु – कुकु करती कोयल सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है। कोयल से सबंधित एक कवि ने कुछ लाइन अंकित की है जैसे :
कागा कासों लेत है , कोयक काको देत।
इक वाणी के कारणे , जग अपना कर लेत।
जिसका अर्थ है किसी से क्या लेता है कौवा और कोयल किसी को क्या देती है – पर कोयल अपनी मीठी बोली से सारे संसार का दिल जीत लेती है इसमें कोयल की मीठी बोली की ख़ुशी के माध्यम से हमेशा मीठे बोल बोलने पर जोर दिया गया है।
भारत में यह पक्षी देश के उतरी भागों में दिखाई देता है पर सर्दियों के मौसम में यह दक्षिण दिशा की तरफ चली जाती है क्योंकि यह पक्षी ज्यादा सर्दी नहीं सहन कर सकती। कोयल पक्षी अपने अण्डों को खुद नहीं सेती बल्कि यह कार्य कौवे के द्वारा किया जाता है कोयल के अंडे बिल्कुल कौवे के अंडे जैसे नहीं होते बल्कि इनका आकार, रंग और वजन में थोड़े भिन्न होते हैं इसके बावजूद भी कौवा कोयल के अण्डों को पहचान नहीं पाता अत: कोयल मौका मिलते ही अपने अण्डों को कौवे के घोंसले में रख देती है कुछ दिनों के पश्चात इन अण्डों से बच्चे निकल आते हैं कोयल और कौवे के बच्चों में अंतर निकाल पाना मुश्किल होता है इसीलिए कौआ कोयल के बच्चों को अपना समझकर इन्हें पालता है।
कोयल कौवे से थोड़ी छोटी होती है इसीलिए कौवा और कोयल को आसानी से पहचाना जा सकता है। पूंछ के साथ कोयल की लम्बाई सवा से डेढ़ फीट तक होती है इनमें से नर पक्षी का रंग मादा की अपेक्षा ज्यादा काला होता है अर्थात मादा का थोडा भूरा होता है, पर दोनों की आंखें हल्की भूरे रंग में होती हैं। कोयल को फल खाना बहुत पसंद होता है इसे आम खाना ज्यादा पसंद होता है। अक्सर लोग उस फल को जरूर तोड़कर खाते हैं जिसे कोयल द्वारा खाया गया हो क्योंकि यह हमेशा मीठे फल खाना पसंद करती है।
फ़रवरी से जून तक का समय भारत में आमों के पेड़ों पर भूर आने का समय होता है इन दिनों में कोयल को ज्यादा देखा जा सकता है। इस वक्त कोयल का अपना परिवार बढ़ाने का समय होता है वह अपने नर साथी को कुकु- कुकु कर उसे आवाज़ लगाती है।
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